Indian Air Force Day 2023: भारतीय वायुसेना (Indian Air Force, IAF) भारतीय सशस्त्र बलों में से एक है और भारतीय सुरक्षा प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारतीय वायुसेना देश में हुए स्वतंत्रता संग्राम के दौरान स्थापित की गई थी और वर्तमान में यह एक शक्तिशाली और तकनीकी दृष्टि से प्रगतिशील वायु सेना है।भारतीय वायुसेना ने कई युद्धों में अपनी प्रगतिशीलता और सामर्थ्य का प्रदर्शन किया है, जैसे कि 1965, 1971 और कारगिल युद्ध में। भारतीय वायुसेना के पास परमाणु शक्ति के साथ युद्ध विमान भी हैं, जो देश की आकाशीय सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।भारतीय वायुसेना की उपलब्धियों को याद करने और सैनिकों के साहस को नमन करने के लिए हर साल वायुसेना दिवस मनाया जाता है। आज देशभर में वायुसेना दिवस मनाया जा रहा है। इस दिन को मनाने से पहले वायु सेना की उपलब्धियों, इस दिन को मनाने की खास वजह और इतिहास के बारे में जानिए।
कब मनाते हैं भारतीय वायुसेना दिवस?
हर साल 8 अक्तूबर को भारतीय वायुसेना दिवस मनाते हैं। आज प्रयागराज के संगम क्षेत्र में जहां देश की सुरक्षा में लगे लड़ाकू विमान अपना शौर्य दिखा रहे हैं तो वहीं मध्य वायु कमान मुख्यालय बमरौली में वायु योद्धाओं की परेड हो रही है। आयोजन में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान के साथ वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने शिरकत की। आज वायुसेना के नए ध्वज का भी अनावरण भी हुआ।
भारतीय वायुसेना दिवस का इतिहास
दरअसल भारत और पाकिस्तान के विभाजन से पहले ही भारतीय वायुसेना की स्थापना की जा चुकी थी। 8 अक्तूबर, 1932 को औपनिवेशिक शासन के अधीन अविभाजित भारत में वायुसेना की स्थापना की गई। भारत की वायुसेना द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल हुई, जिसके लिए किंग जार्ज VI ने सेना को ‘रायल’ प्रीफिक्स से नवाजा था। हालांकि देश की आजादी के बाद जब भारत गणतंत्र राष्ट्र बना तो प्रीफिक्स को हटा दिया गया।
क्यों मनाते हैं वायुसेना दिवस?
हर साल इस दिन को बहुत ही जोश व उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य देश के लोगों के लिए सशस्त्र बल वायुसेना के योगदान को समझाना और सराहना करना होता है। भारतीय वायुसेना दिवस वीर और सेवानिवृत्त अधिकारियों को सलामी और सम्मान देने का मौका प्रदान करता है। यह दिन भारतीय सुरक्षा बलों के जवानों के योगदान को याद करने और उनके साहस और बलिदान को मान्यता देने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर होता है। इस मौके पर वायुसेना अलग-अलग स्थलों पर आकाशीय डिस्प्ले, पैरेड और अन्य कार्यक्रम आयोजित करती है, जिन्हें लोग उपस्थित होकर देखते हैं।
भारतीय वायुसेना का परचम
भारतीय वायुसेना के नाम कई उपलब्धियां हैं। आजादी के बाद से भारतीय वायुसेना ने कुल 5 युद्ध लड़े। इसमें से चार युद्ध पाकिस्तान के खिलाफ रहे और एक भारत व चीन के बीच हुआ। भारत और पाकिस्तान की जंग 1948, 1965, 1971 और 1999 में हुई, जिसमें भारतीय वायुसेना का अहम योगदान रहा। चीन के साथ 1962 में हुए युद्ध में भी भारतीय वायुसेना ने अपना बल दिखाया। इसके अलावा ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन मेघदूत, ऑपरेशन कैक्टस और बालाकोट एयर स्ट्राइक भारतीय वायुसेना के कुछ प्रमुख ऑपरेशनों में शामिल हैं।
[8 अक्टूबर 1932 – 1 अप्रैल 1954]ऊपर उल्लिखित दो तिथियां भारतीय वायु सेना के इतिहास में मील का पत्थर हैं।
08 अक्टूबर 1932 को, भारतीय वायु सेना अस्तित्व में आई और 1 अप्रैल 1954 को वायु सेना के संस्थापक सदस्यों में से एक एयर मार्शल सुब्रोतो मुखर्जी वायु सेना के प्रथम भारतीय प्रमुख बने। इस दौरान विश्व युद्ध II के रूप में मानवजाति के इतिहास में दूसरी बार सर्वधिक रक्तरंजित युद्ध देखा। युद्ध के दौरान भारतीय वायु सेना यूनाइटेड किंगडम को अपना समर्थन दिया। भारतीय वायु सेना के सुप्रसिद्ध नायकों में से एक के के मजूमदार को मित्र देशों की वायु सेनाओं के बारह श्रेष्ठतम पायलटों में गिना गया। इसी दशक में एक स्वतंत्र भारत का जन्म हुआ जिसके बाद वर्तमान भारतीय वायु सेना की स्थापना हुई।
[1955-1971] हलचल / उथल-पुथल की अवधि
यह वह समय था जब भारतीय वायु सेना ने जेट वायुयान का अधिग्रहण करके एक नए युग में प्रवेश किया। इस अवधि में भारत-पाकिस्तान के बीच दो युद्ध भी हुए, जिसमें भारतीय वायु सेना द्वारा पाकिस्तानी हवाई प्रयासों को निष्क्रिय किया गया था। भारतीय वायु सेना ने कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में योगदान के साथ-साथ चीन भारत संघर्ष में भी समर्पण और प्रतिबद्धता का परिचय दिया।