Indian Air Force Day 2023: क्यों 8 अक्टूबर को मनाया जाता है भारतीय वायुसेना दिवस, जानें इसका इतिहास

[1972-1990] प्रगति का समय

अगले दो दशकों में भारतीय वायु सेना ने अपने वायुयान और उपकरण को बडे पैमाने पर आधूनिक बनाया। प्रक्रिया के एक भाग के रूप में भारतीय वायु सेना ने बीस से अधिक नए प्रकार के वायुयान शामिल किए। डकोटा और पैकेट वायुयानों के प्रतिस्थापन हेतु जगुआर और मिग के अनेक प्रकार शामिल किए गए थे। मिग एक क्रांतिकारी वायुयान है जिसे भारतीय बेड़े में अस्सी के दशक में शामिल किया गया था। इसी अवधि में भारतीय वायु सेना के कार्मिकों द्वारा विभिनं विश्व रिकॉर्ड स्थापित किए गए। स्क्वाड्रन लीडर मक्कड़ और फ्लाइट लेफ्टिनेंट आर टी एस चिन्ना ने लद्दाख में 5050 मीटर की तुंगता पर अपने एम आई-17 हेलिकॉप्टर से बमबारी करके विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया। स्क्वाड्रन लीडर संजय थापर दक्षिण धुव्र पर पैरा जंप लगाने वाले पहले भारतीय थे । नए आयामों की खोज करते हुए स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा भारतीय सोवियत अंतरिक्ष कार्यक्रम में बाहरी अंतरिक्ष में खोज के लिए जाने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री थे।

READ  Work From Home Job : पेटीएम 12वीं पास को ₹28000 सैलरी दे रहा है वर्क फ्रॉम होम जॉब जल्दी करें अप्लाई New Best Link

[1990- वर्तमान] भारत को नई सहस्राब्दि में ले जाना

बीसवीं शताब्दी के अंतिम दशक में भारतीय वायु सेना ने ढांचे मे महत्वपूर्ण बदलाव करते शॉर्ट सर्विस कमिशन में महिलाओं को शामिल किया इस दौरान भारतीय वायु सेना ने कुछ अत्यधिक खतरनाक ऑपरेशनों को भी अंजाम दिया। 1999 में, भारतीय वायु सेना ने ‘‘ऑपरेशन सफेद सागर’’ को अंजाम दिया, जो कि विश्व में किसी भी वायु सेना द्वारा किया गया सबसे अनूठा हवाई ऑपरेशन था। एक घुसपैठिए दुश्मन के विरुद्ध प्रतिकूल वातावरणीय परिस्थितियों में हवाई हमला करके एक अप्रत्याशित ऊंचाई पर जीत दर्ज की गई। भारतीय वायु सेना ने एक मानवतावादी ऑपरेशन के सोमालिया में एक शांति मिशन में भी भाग लिया। इस अवधि में फाइटर पायलट के तौर पर महिलाओं को भी शामिल किया गया जिससे भा वा से की सभी शाखाओं में महिलाओं का प्रवेश हो गया।

भारतीय वायुसेना की स्थापना 8 अक्टूबर, 1932 को ‘रॉयल इंडियन एयर फोर्स’ के रूप में की गई थी. यह भारतीय सशस्त्र सेना का एक प्रमुख अंग है. इसका प्रमुख उद्देश्य वायु युद्ध, वायु सुरक्षा और वायु चौकसी प्रदान करना है. आइये इस लेख के माध्यम से भारतीय वायुसेना का इतिहास, उद्देश्य, फाइटर जेट्स, मोटो इत्यादि के बारे में अध्ययन करते हैं.

READ  Indian Post GDS Bharti 2024 : बेरोजगार युवाओं के लिए बिना परीक्षा सीधी भर्ती, यहां से करें आवेदन Best Link

भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) भारतीय सशस्त्र सेना का एक अंग है. सैनिकों और एयरक्राफ्ट के मामले में यह दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना है. इसका प्रमुख उद्देश्य वायु युद्ध, वायु सुरक्षा और वायु चौकसी प्रदान करना है. 1945 के द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीय वायुसेना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. आइये इस लेख के माध्यम से भारतीय वायुसेना का इतिहास, उद्देश्य, फाइटर जेट्स, मोटो इत्यादि के बारे में अध्ययन करते हैं.

भारतीय वायुसेना का इतिहास

अंग्रेजो के समय में इसकी स्थापना 8 अक्टूबर, 1932 को ‘रॉयल इंडियन एयर फोर्स’ के रूप में की गई थी. भारत की आजादी के बाद जब 1950 में भारत गणतंत्र बना तब इसके नाम के आगे से ‘रॉयल’ शब्द हटा दिया गया और ‘इंडियन एयरफोर्स’ कर दिया गया. भारतीय वायुसेना ने अपनी पहली वायु यान उड़ान 1 अप्रैल, 1933 को भरी थी. उस समय इसमें RAF द्वारा पर्शिक्षित छह अफसर और 19 हवाई सिपाही (शताब्दिक तौर पर वायुयोद्धा) थे. इसकी इन्वेंट्री में योजनाबद्ध नं. 1 (थल सेना के सहयोग से) स्क्वाड्रन के “A” उड़ान (फ्लाइट) केन्द्र के रूप में द्रिग रोड (Drigh Road) स्थित चार वेस्टलैंड वापिती IIA army co-operation biplanes शामिल थे. साढ़े चार वर्ष के बाद “A” फ्लाइट ने बागी भिट्‌टानी जनजाति के विरुद्ध भारतीय सेना के ऑपरेशनों मे सहायता करने के लिए उत्तरी वजीरिस्तान (North Waziristan) में मिरानशाह (Miranshah) से पहली बार किसी लड़ाई में भाग लिया था.

READ  Gram Panchayat Vacancy 2024 | ग्राम पंचायत के अंतर्गत निकली 26000 पदों पर भर्ती करें आवेदन

क्या आप जानते हैं कि भारत के राष्ट्रपति भारतीय वायुसेना के कमांडर इन चीफ के रूप में कार्य करते हैं. वहीं फोर स्टार रैंक वायु सेनाध्यक्ष, एयर चीफ मार्शल वायुसेना का नेतृत्व करते है और इसकी सभी कार्यप्रणाली के लिए जिम्मेदार होते हैं. भारतीय वायुसेना में कभी भी एक से अधिक एयर चीफ मार्शल सेवा में नहीं होते हैं. इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है.

Leave a Comment